Thursday, June 5, 2008

one of his best creations......तनहा !!

देखीये तो लगता है,
ज़िंदगी की राहों में,
एक भीड़ चलती है|
सोचीए तो लगता है,
भीड़ में हैं सब तनहा|
जीतने भी यह रिश्ते हैं,
कांच के खीलोने हैं,
पल में टूट सकते हैं|
एक पल में हो जाए,
कोई जाने कब तनहा|

देखीये तो लगता है,
जैसे यह जो दुनीया है,
कीतनी रंगीन महफिल है,
सोचीए तो लगता है,
कीतना गम है दुनीया में,
कीतना ज़ख्मी हर dil है|
वह जो मुस्कुराते थे,
जो कीसी को ख़्वाबों में,
अपने पास पाते थे|
उनकी नींद टूटी है,
और हैं वह अब तनहा|

देखीये तोह लगता है |
ज़िंदगी की राहों में,
एक भीड़ चलती है |
सोचीए तोह लगता है,
भीड़ में हैं सब तनहा |

- जावेद अख्तर

2 comments:

Unknown said...

jab hindi nahi ati hai to kyon likhti ho........

Bhumika Srivastava said...

matlab se zada aap hindi pe dhyan denge to i cant help....ur view...