देखीये तो लगता है,
ज़िंदगी की राहों में,
एक भीड़ चलती है|
सोचीए तो लगता है,
भीड़ में हैं सब तनहा|
जीतने भी यह रिश्ते हैं,
कांच के खीलोने हैं,
पल में टूट सकते हैं|
एक पल में हो जाए,
कोई जाने कब तनहा|
देखीये तो लगता है,
जैसे यह जो दुनीया है,
कीतनी रंगीन महफिल है,
सोचीए तो लगता है,
कीतना गम है दुनीया में,
कीतना ज़ख्मी हर dil है|
वह जो मुस्कुराते थे,
जो कीसी को ख़्वाबों में,
अपने पास पाते थे|
उनकी नींद टूटी है,
और हैं वह अब तनहा|
देखीये तोह लगता है |
ज़िंदगी की राहों में,
एक भीड़ चलती है |
सोचीए तोह लगता है,
भीड़ में हैं सब तनहा |
- जावेद अख्तर
Thursday, June 5, 2008
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2 comments:
jab hindi nahi ati hai to kyon likhti ho........
matlab se zada aap hindi pe dhyan denge to i cant help....ur view...
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